February 2011
एक बार नहीं कई बार हो सकता है
' सच्चा प्यार'
कुछ कुछ होता है' फिल्म में शाहरुख
खान का एक डायलॉग है - इंसान एक बार
जीता है, एक बार मरता है और एक बार
ही प्यार करता है। लेकिन कुछ स्टडीज़
पर यकीन करें तो जिंदगी में इंसान
को कई बार प्यार हो सकता है। यह बात
दूसरी है कि पहला प्यार कोई
भुला नहीं पाता। सीनियर
सायकायट्रिस्ट डॉ . संदीप वोहरा कहते
हैं कि हाल में अमेरिका और यूरोप में
हुई कई स्टडी में यह कहा गया है
कि इंसान को एक से ज्यादा बार
भी प्यार होता है , कितनी बार
हो सकता है, यह फिक्स्ड नहीं है। पहले
यह माना जाता था कि सच्चा प्यार एक
बार ही हो सकता है , लेकिन अब यह
परिभाषा काफी हद तक बदल गई है।
किसी की पर्सनैलिटी पर निर्भर
करता है कि उसे कितनी बार प्यार
होगा। पहले प्यार का खुमार :
पहला प्यार इसलिए यादगार होता है
क्योंकि इसमें अटैचमंट पहली बार
होता है और इंसान के लिए वह बिल्कुल
नया एक्सपीरियंस होता है। इसमें
इमोशनल डिग्री ज्यादा होती है। इस
जुड़ाव को खत्म करने में
काफी मुश्किल आती है और यादें
जिंदगी भर साथ रह जाती हैं। प्यार
या कुछ और : मैक्स हेल्थ केयर के
सायकायट्रिस्ट डॉ. समीर पारेख कहते
हैं कि इन्फैचुएशन होना सामान्य बात
है। आप हर रोज किसी नए शख्स से मिलते
हैं। उनमें से कुछ की कई बातें
आपको प्रभावित कर सकती हैं। प्यार तब
होता है जब उस आकर्षण पर कुछ ऐक्शन
हो और बात आगे बढ़े। अगर यह आकर्षण
लंबे वक्त तक बरकरार रहा और आसपास
का माहौल उसके समर्थन में रहा तो ये
इन्फैचुएशन प्यार में भी बदल
सकता है। पर हर इन्फैचुएशन प्यार
नहीं हो सकता। युवाओं को यह बात
समझनी चाहिए कि सिर्फ
किसी का अच्छा लगना प्यार नहीं है।
वह
लवेरिया नहीं होता बल्कि डेटेरिया होता है।
जादू है , नशा है: डॉ. वोहरा कहते हैं
कि सच्चा प्यार एक नशे की तरह
होता है। स्टडी के दौरान जब ऐसे
लोगों का ब्रेन स्कैन
किया गया तो प्यार की गिरफ्त में आए
शख्स के ब्रेन में केमिकल सीक्रेशन
से ब्रेन के हिस्सों पर जो असर हुआ
था, वह ठीक उसी तरह का था जैसे नशे के
दौरान होता है। साइंस मैगजीन में
छपी रिसर्च से यह साबित हुआ है
कि प्यार के मामले में मेल और फीमेल
की साइकॉलजी में फर्क होता है। लड़के
जहां लड़कियों के लुक्स पर फिदा होते
हैं , वहीं लड़कियों के लिए यह
इतना मायने नहीं रखता।
लड़कियां भावनात्मक जुड़ाव
को ज्यादा अहमियत देती हैं। इसलिए
लड़कों को यह कहते
ज्यादा सुना जाता है कि उन्हें आए
दिन प्यार हो जाता है , लेकिन
सायकायट्रिस्ट का मानना है कि आए दिन
महसूस की जाने वाली चीज प्यार
नहीं इन्फेचुएशन होती है। असल में जब
प्यार होता है तो इंसान को कुछ समझ
नहीं आता है कि उसके साथ
हो क्या रहा है।
प्रस्तुतकर्ता Heera rajput पर 4:44
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गर्लफ्रेंड बनाने में
बाजी मारते हैं बैड बॉयज
अच्छे कहे जाने वाले लड़कों का एक आम
रोना रहा है कि लड़कियां उन्हें भाव
नहीं देतीं और बुरे लड़कों के 'चंगुल'
में फंस जाती हैं। अब वैज्ञानिक
रिसर्च में भी यह बात साबित हो गई है
कि एंटी -सोशल पर्सनैलिटी वाले पुरुष
जिंदगी में और कुछ हासिल करें या न
करें , लड़कियों को आकर्षित करने के
मामले में वे बाजी मार लेते हैं।
न्यू साइंटिस्ट मैगजीन के मुताबिक
अमेरिकी रिसर्चरों ने 57 देशों में
करीब 35 हजार लोगों पर कराए गए सर्वे
में नतीजा निकाला कि आक्रामक, कठोर
ह्रदय, चालाक और मतलबी स्वभाव के
लोगों की सेक्स लाइफ बेहतर होती है।
स्टडी के नतीजों को हाल ही में जापान
के क्योटो शहर में आयोजित 'ह्यूमन
बिहैवियर एंड इवॉल्यूशन सोसायटी'
मीटिंग में पेश किया गया। न्यू
मेक्सिको स्टेट यूनिवर्सिटी के
रिसर्चर और स्टडी टीम के अगुआ पीटर
जॉनसन के मुताबिक बिंदास
जिंदगी जीने वाले इन लोगों के चरित्र
की नुमाइंदगी कुछ हद तक जेम्स बॉन्ड
जैसा कैरक्टर करता है। ऐसे लोग
जो समझौते करने में यकीन नहीं रखते
और न ही अंतर्मुखी होते हैं। नए -नए
काम करना उनकी फितरत होती है, जिनमें
लोगों को मारना और नई औरतें हासिल
करना भी शामिल है। ऐसे लोग शॉर्ट
टर्म रिश्तों में यकीन रखते हैं। ये
दूसरों की बीवियों या प्रेमिकाओं पर
नजर रखते हैं और उनसे थोड़े समय के
लिए संबंध बनाने की कोशिश करते हैं।
स्टडी की खास बात यह है कि यह सिर्फ
पुरुषों पर लागू होती है।
यानी इसी कैरक्टर की महिलाएं , सेक्स
लाइफ के मामले में कामयाबी हासिल
नहीं कर पातीं। स्टडी में यह
भी कहा गया कि अच्छे चरित्र के
लड़कों को निराश होने की जरूरत नहीं।
पिछली कई स्ट्डीज में यह बात साबित
हो चुकी है कि लड़कियां थोड़े वक्त
या किसी खास मकसद के लिए भले
ही किसी को चुन लें , लेकिन जिंदगी में
सेटल उन्हीं पुरुषों के साथ
होना चाहती हैं , जो अच्छे कैरक्टर के
हों और उनका ख्याल रख सकें।
प्रस्तुतकर्ता Heera rajput पर 4:37
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February 2011
सेक्स चिप का जमाना
प्रस्तुतकर्ता Hrish rajput पर 2:39
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सब कुछ कह देती है बॉडी लैंग्विज
किसी से बिना बात किए उसके शारीरिक
हाव -भाव से उसके विषय में
जाना जा सकता है। किसी व्यक्ति के
शारीरिक हावभाव से
उसके असली स्वरूप को पहचान
लेना ही बॉडी लैंग्विज है।
बॉडी लैंग्विज के कुछ आधारभूत
हावभाव जिसके आधार पर
किसी व्यक्ति के शारीरिक हावभाव
को जानकर आप उससे बेहतर संबंध बनाने
में सफल हो सकते हैं - - बॉडी लैंग्विज
कोई लिखित भाषा नहीं है
बल्कि किसी भावना को हावभाव के जरिए
व्यक्ति करने का तरीका है। यह आपके
बारे में उतना बतलाता है जितना आप
स्वयं नहीं बतलाते , इसलि