एक गाँव में एक किसान परिवार
रहा करता था . परिवार में अधेड़ किसान
दंपति के अतिरिक्त एक पुत्र एवं
पुत्रवधू भी थे। पुत्र निकट के नगर
में एक सेठ का सेवक था।
एक दिन की बात है तीन वृद्ध कहीं से
घूमते घामते आए और किसान की आँगन में
लगे कदम के पेड़ के नीचे विश्राम
करने लगे। किसान की पत्नी जब बाहर
लिकली तो उसने इन्हे देखा , उसने
सोचा की वे भूखे होंगे। उसने उन्हे
घर के अंदर आकर भोजन ग्रहण करने
का अनुरोध किया। इसपर उन वृद्धों ने
पूछा , क्या गृहस्वामी घर पर हैं?
किसान की पत्नी ने उत्तर दिया, नहीं,
वे बाहर गये हुए हैं।
वृद्धों ने कहा कि वे
गृहस्वामी की अनुपस्थिति में घर के
अंदर नहीं आएँगे। स्त्री अंदर
चली गयी कुछ देर बाद किसान आया।
पत्नी ने सारी बातें बताईं। किसान ने
तत्काल उन्हें अंदर बुलाने को कहा।
स्त्री ने बाहर आकर उन्हें
निमंत्रित किया। उन्होंने कहा “हम
तीनों एक साथ नहीं आएँगे , जाओ अपने
पति से सलाह कर बताओ कि हममें से कौन
पहले आए”। वो जो दोनों हैं , एक
“समृद्धि” है, और दूसरे का नाम
“सफलता”। मेरा नाम “प्रेम” है”।
पत्नी ने सारी बातें अपने पति से
कही। किसान यह सब सुनकर अत्यधिक
प्रसन्न हुआ। उसने कहा , यदि ऐसी बात
है तो पहले “समृद्धि” को बुला लाओ।
उसके आने से अपना घर धन धान्य से
परिपूर्ण हो जाएगा। उसकी पत्नी इसपर
सहमत नहीं थी। उसने कहा ,
क्यों ना “सफलता” को बुलाया जाए ।
उनकी पुत्रवधू एक कोने में खड़े होकर
इन बातों को सुन रही थी। वो बहुत
ही समझदार थी उसने कहा , अम्माजी आप
“प्रेम” को क्यों नहीं बुलातीं।
किसान ने कुछ देर सोचकर पत्नी से
कहा “चलो बहू क़ी बात मान लेते हैं”।
पत्नी तत्काल बाहर गयी और उन
वृद्धों को संबोधित कर कहा “आप
तीनों मे जो “प्रेम” हों , वे
कृपया अंदर आ जाए। “ प्रेम” खड़ा हुआ
और चल पड़ा। बाकी दोनों , “सफलता” और
“समृद्धि” भी पीछे हो लिए। यह देख
महिला ने प्रश्न किया अरे ये क्या है,
मैने तो केवल “प्रेम” को ही आमंत्रित
किया है। दोनों ने एक साथ उत्तर
दिया ” यदि आपने “समृद्धि”
या “सफलता” को बुलाया होता तो हम मे
से दो बाहर ही रहते। परंतु आपने
“प्रेम” को बुलाया इसलिए हम साथ चल
रहे हैं। हम दोनो उसका साथ
कभी नहीं छोड़ते।
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